Tu Hi Ram Hai Tu Rahim Hai(तू ही राम है तू रहीम है): प्रार्थना के अर्थ और महत्व

Tu Hi Ram Hai Tu Rahim Hai lyrics

Tu Hi Ram Hai Tu Rahim Hai lyrics (तू ही राम है तू रहीम है):

भारतीय संस्कृति में अध्यात्म और धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है। यह विविध मान्यताओं और प्रथाओं की भूमि है जो हिंदू धर्म के प्राचीन काल से लेकर इस्लाम, ईसाई धर्म और अन्य धर्मों के आगमन तक फैली हुई है। वाक्यांश “तू ही राम है तू रहीम है”(Tu Hi Ram Hai Tu Rahim Hai lyrics) का गहरा अर्थ है जो धार्मिक सीमाओं को पार करता है और परमात्मा की अभिव्यक्ति है। यह लेख इस वाक्यांश के महत्व, इसकी उत्पत्ति और समकालीन समय में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालता है।

Tu hi ram hai tu rahim hai lyrics/prathna

तू ही राम है तू रहीम है प्रार्थना लिखा हुआ इस प्रकार है –

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

तेरी आयतें पाक क़ुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में,
गुरु ग्रंथ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आवाहन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

विधि वेष जात के भेद से
हमें मुक्त कर दो परम पिता ,
तुझे देख पाये सभी में हम
तुझे ला सके हम सभी जगह॥

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

तेरे गुण नहीं हम गा सकें
तुझे कैसे मन में ला सकें,
है दुआ यही तुझे पा सकें
तेरे दर पे सर ये झुका हुआ॥

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

tu hi ram hai tu rahim hai lyrics in english

too hee raam hai too raheem hai,
too kareem, krshn, khuda hua,
too hee guru, too eeshoo maseeh,
har naam mein, saim sama raha hai!

too hee raam hai too raheem hai,
too kareem, krshn, khuda hua,
teree jaat paak kuraan mein,
tera dekho ved puraan mein,
guru granthanaath jee ke bakhaan mein,
ja prakaash khud dikha raha hai!

too hee raam hai too raheem hai,
too kareem, krshn, khuda hua,
too hee guru, too eeshoo maseeh,
har naam mein, too sama ja raha hai,
aradaas hai, kaheen keertan,
kaheen raam dhun, kaheen aavhaan,
vidhi bhed ka hai ye sab raashan,
tera bhakt tujhako bula raha hai!

too hee raam hai too raheem hai,
too kareem, krshn, khuda hua,
too hee guru, too eeshoo maseeh,
har naam mein, saim sama raha hai!

too hee dhyaan mein, too hee gyaan mein
too hee praaniyon ke praan mein,
kaheen bhee aasamaan mein hee baat hotee hai
kaheen koee phool ban gaya!

too hee raam hai too raheem hai,
too kareem, krshn, khuda hua,
too hee guru, too eeshoo maseeh,
har naam mein, too sama raha.

“तू ही राम है तू रहीम है” का क्या अर्थ है?”Tu hi Ram hai, tu Rahim hai” ka kya arth hai?

“तू ही राम है तू रहीम है” एक मुहावरा है जो उर्दू भाषा से आया है। इसका अर्थ है “आप राम हैं, आप रहीम हैं” या “आप सभी के अंतिम स्रोत हैं।” राम और रहीम क्रमशः हिंदू और इस्लामी धर्मों में भगवान के दो अलग-अलग नाम हैं। दोनों को दया, करुणा और प्रेम के गुणों के साथ दिव्य प्राणी माना जाता है। इसलिए, यह वाक्यांश भगवान की एकता का प्रतिनिधित्व करता है, भले ही लोग अलग-अलग नामों और रूपों को परमात्मा से जोड़ते हैं।

“तू ही राम है तू रहीम है” की उत्पत्ति:”Tu hi Ram hai, tu Rahim hai” ki utpatti

इस वाक्यांश की उत्पत्ति भारत में मुगल युग में देखी जा सकती है। इसी दौरान मुगल बादशाहों ने भारत में सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई बदलाव लाए। मुगलों द्वारा उर्दू भाषा का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था, और यह साहित्य, कला और कविता की भाषा बन गई। इसी युग के दौरान उर्दू कवियों ने विभिन्न धर्मों में ईश्वर की एकता के प्रतीक के रूप में इस मुहावरे का प्रयोग अपनी रचनाओं में करना शुरू किया।

“तू ही राम है तू रहीम है” का महत्व:”Too hi raam hai too raheem hai” ka mahatv:

वाक्यांश “तू ही राम है तू रहीम है/tu hi ram hai tu rahim hai prathna lyrics” लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यह इस विचार को दर्शाता है कि ईश्वर एक है और सभी धर्म समान हैं। यह लोगों को धर्म के अंतर से परे देखने और देवत्व के सार्वभौमिक पहलुओं को देखने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, यह वाक्यांश करुणा, प्रेम और दया के महत्व को बढ़ावा देता है, जो हिंदू और इस्लामी दोनों धर्मों में ईश्वर के आवश्यक गुण हैं।

समकालीन समय में, इस वाक्यांश ने व्यापक महत्व और अर्थ प्राप्त किया है। इसका उपयोग अंतर्धार्मिक सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने के तरीके के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच एक सामान्य आधार बनाने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, इस वाक्यांश का उपयोग कई लोगों द्वारा भगवान के प्रति अपनी आस्था और भक्ति को व्यक्त करने के तरीके के रूप में किया जाता है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो।

एकता की शक्ति और आपसी सद्भाव:ekata kee shakti aur aapasee sadbhaav

वाक्यांश “तू ही राम है तू रहीम है” एकता और परस्पर सद्भाव के विचार का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि सभी धर्मों का एक ही लक्ष्य है, जो परमात्मा से जुड़ना है। इसके अलावा, यह इस विचार को बढ़ावा देता है कि कोई भी धर्म दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है और सभी धर्मों का समान मूल्य है। यह विचार आज की दुनिया में महत्वपूर्ण है, जहां शांति और समझ की बढ़ती आवश्यकता है।

निष्कर्ष

अंत में, वाक्यांश “तू ही राम है तू रहीम है” ईश्वर की एकता और इस विचार का प्रतिनिधित्व करता है कि सभी धर्म समान हैं। यह एक ऐसा मुहावरा है जो धार्मिक सीमाओं को पार करता है और अंतर्धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, यह करुणा, प्रेम और दया के महत्व का एक शक्तिशाली अनुस्मारक है, जो हिंदू और इस्लामी दोनों धर्मों में ईश्वर के आवश्यक गुण हैं। इस वाक्यांश का समकालीन समय में व्यापक महत्व और अर्थ है, जहां इसका उपयोग शांति, समझ और एकता को बढ़ावा देने के तरीके के रूप में किया जाता है।

पूछे जाने वाले प्रश्न:FAQ

Q “तूही राम है तू रहीम है” मुहावरा किसने गढ़ा था?
वाक्यांश की सटीक उत्पत्ति अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि यह भारत में मुगल युग के दौरान उत्पन्न हुआ था जब उर्दू कवियों ने इसे अपने कार्यों में इस्तेमाल किया था।

Q क्या “तू ही राम है तू रहीम है” एक हिंदू या इस्लामी मुहावरा है?
यह एक हिंदू और इस्लामी वाक्यांश दोनों है क्योंकि यह दोनों धर्मों में भगवान के दो अलग-अलग नामों, क्रमशः राम और रहीम का संदर्भ देता है।

Q “तू ही राम है तू रहीम है” कैसे परस्पर सद्भाव को बढ़ावा दे सकता है?
यह वाक्यांश इस विचार को बढ़ावा देता है कि सभी धर्म समान हैं और ईश्वर एक है, जो लोगों को धर्म में मतभेदों से परे देखने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

Q “तू ही राम है तू रहीम है” में करुणा, प्रेम और दया का क्या महत्व है?
ये हिंदू और इस्लामी दोनों धर्मों में भगवान के आवश्यक गुण हैं, और वाक्यांश लोगों को इन गुणों को अपने दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

Q-  तू ही राम है के लेखक कौन है

तू ही राम है गीत के लेखक का नाम​ कबीर है

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